टोक्यो के बाद नीरज ने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। यह नीरज के दृढ़ निश्चय के बिना संभव नहीं था। साल 2019 में कोहनी की इंजरी से उनका करियर खत्म होने के कगार पर था। इसी साल उन्होंने मई में ऑपरेशन कराया। उसके बाद फिर वापसी करते हुए एक बाद एक रिकॉर्ड अपने नाम पर दर्ज करवाते चले गए। पहले टोक्यो ओलिंपिक में गोल्ड जीता। अब अमेरिका में उनकी परफॉर्मेंस की बदौलत तिरंगा लहराया है।
टोक्यो में 121 साल बाद रचा था इतिहास
ऑपरेशन के बाद वापसी करते हुए टोक्यो ओलिंपिक में नीरज ने 121 साल के भारत के ओलिंपिक इतिहास में ट्रैक एंड फील्ड इवेंट्स (एथलेटिक्स) में पहला गोल्ड दिलाया। उन्होंने 87.58 मीटर जेवलिन थ्रो कर गोल्ड मेडल जीता। यह नीरज का पहला ही ओलिंपिक था।
ओलिंपिक के बाद नीरज के चाचा ने भास्कर को दिए इंटरव्यू में कहा था कि 2019 में कोहनी के ऑपरेशन के बाद तो डर था कि वह वापसी कर पाएंगे या नहीं। उनके चाचा ने कहा था कि नीरज के लिए वापसी आसान नहीं थी। ऑपरेशन के बाद जब वह प्रैक्टिस में लौटे तो एक साल तक मोबाइल को स्विच ऑफ रखा। अगर उन्हें बात करना होता था, तो वो खुद ही बात करते थे।