बीरगांव नगर निगम का राधाकृष्णन वार्ड, शीतला तालाब के पार पर चढ़ती हुई कंक्रीट की सड़क ने एक हैंडपंप को दबा रखा है। यह गांव से शहर बनते बीरगांव नगर निगम के विकास की तस्वीर है। यहां अधिकांश मोहल्लों में ऐसा ही ‘बौराया विकास’ हुआ है। सड़क बनी है तो नाली नहीं है। पाइपलाइन डल गई है, लेकिन पानी नहीं आता। तालाबों का सौंदर्यीकरण आधा-अधूरा है। मुख्य सड़कों पर भारी वाहनों की लगातार आवाजाही से धूल का गुबार है।
अब जब यह शहर अपनी नई सरकार चुनने जा रहा है, राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। बीरगांव शहर के विकास पर सत्ताधारी कांग्रेस, मुख्य विपक्षी दल भाजपा और तीसरे प्रमुख राजनीतिक दल जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के घोषणा पत्रों में रुपहले सपने हैं, लेकिन पुरानी बस्ती के संतराम का कहना कुछ और ही है। एक दुकान पर बैठे संतराम ने कहा, यहां की अधिकांश सड़कें कच्ची हैं। जो सड़क बन गई है उनमें से अधिकांश पर बारिश में जलभराव होता है। कुछ सड़कें ऐसी ऊंची बना दी गई हैं कि उनकी वजह से घरों को नुकसान हो रहा है। पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
इतवारी बाजार में मिले राजेश का कहना है कि यहां जलनिकासी का सिस्टम बनाने पर अभी तक कोई काम नहीं हुआ। जो भी सत्ता में आए हम तो यही चाहते हैं कि वह सड़क, नाली, पीने के पानी आदि का बेहतर इंतजाम करे।