लॉकडाउन में कैंसर के मरीजों का इलाज बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हर 7 में एक कैंसर मरीज की सर्जरी टल गई। निम्न आय वर्ग के देशों में स्थिति और भी बुरी रही है। यह दावा लैंसेट ऑन्कोलॉजी जर्नल में पब्लिश एक रिसर्च में किया गया है।
समय पर सर्जरी से मौतों को रोक सकते थे
रिसर्च कहती है, कैंसर मरीजों में सर्जरी के टलने से ऐसे मरीजों की मौत का आंकड़ा बढ़ा है। अगर सर्जरी समय पर हो जाती तो इन मौतों को रोका जा सकता था। यह रिसर्च यूके की वर्मिंघम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने की है। शोधकर्ताओं ने भारत समेत 61 देशों के 466 अस्पतालों के 20 हजार कैंसर के मरीजों पर अध्ययन किया। ये मरीज 15 सबसे कॉमन कैंसर से जूझ रहे थे। इसमें भारत के 1,566 मरीज भी शामिल हैं।
निम्न आय वर्ग वाले देशों के हालात और खराब
रिपोर्ट में सामने आया कि कोविड के कारण हर 7 में से एक मरीज अपनी सर्जरी नहीं करवा पाया। निम्न-मध्य आय वर्ग वाले देशों में हालात और ज्यादा बुरे थे। बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता जेम्स ग्लासबे कहते हैं, लॉकडाउन में लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए घर से बाहर निकलने से रोका गया, लेकिन ऐसे मरीजों की सर्जरी का विकल्प भी गाइडलाइन का हिस्सा होना चाहिए।