कोविड के बीच खाद्य तेलों के दाम में महंगाई की मार झेल रहे आम लोगों को तुरंत तो नहीं, लंबे समय में राहत मिलने की उम्मीद जरूर है। सरकार ने देश में खाद्य तेलों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए 11,040 करोड़ रुपए के पाम ऑयल मिशन को मंजूरी दी है। इसमें से 8,844 करोड़ रुपए केंद्र देगा जबकि 2,196 करोड़ रुपए का योगदान राज्य सरकारों को करना होगा।
सरकार का कहना है कि नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स- ऑयल पाम (NMEO-OP) से पाम ऑयल के आयात पर निर्भरता घटेगी, किसानों की आमदनी बढ़ेगी और ऑयल इंडस्ट्री को भी फायदा होगा। दरअसल, उसने पाम ऑयल से जुड़ी इंडस्ट्री को उत्पादन बढ़ाने के लिए 5 करोड़ रुपए की सहायता देने का एलान भी किया है।
इस बारे में केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि सरकार ने पाम मिशन का जो कदम उठाया है, उसके दूरगामी परिणाम होंगे। इससे तुरंत तो खाने के तेल की कीमतों में कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, लेकिन इससे एडिबल ऑयल के इंटरनेशनल मार्केट में सेंटीमेंट पर असर जरूर होगा।
आयात पर निर्भरता घटेगी
नेशनल एडिबल ऑयल मिशन के तहत सरकार पाम ऑयल उत्पादन बढ़ाने पर फोकस कर रही है। देश में तिलहन की उपज काफी कम है, जिसको बढ़ाने की योजना बनाई गई है। इसके तहत किसानों की आमदनी बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है। कैबिनेट मीटिंग में पाम ऑयल मिशन पर लिए गए फैसलों की जानकारी यूनियन मिनिस्टर अनुराग ठाकुर और यूनियन मिनिस्टर नरेंद्र सिंह तोमर ने दी है।