मुंबई: अल्लामा इकबाल की ये पंक्तियां असरानी के जीवन से चरितार्थ होती हैं। भारतीय फिल्म और रंगमंच के दिग्गज कलाकार गोवर्धन असरानी की देह बीत गई। 84 साल की आयु में अंतिम सांस लेने वाला ये दिग्गज कलाकार हर आयु वर्ग में लोकप्रिय और मशहूर रहा। आज भी दशकों पुरानी फिल्म शोले का आइकॉनिक डायलॉग ‘हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं’ लाखों-करोड़ों अधरों पर मुस्कान बिखेर देता है। अब जबकि असरानी हमारे बीच नहीं हैं, उनके मैनेजर बाबू भाई थीबा ने एक ऐसी बात साझा की है, जो उनके चाहने वालों को भावुक करने के साथ-साथ प्रेरित भी करती है।
अंतिम विदाई में वे एक आम आदमी की तरह जाना चाहते हैं
दरअसल, शोहरत की बुलंदियों और कामयाबी की तमाम रेखाओं को छूकर गुजरने के बाद भी आदमी कितनी सादगी से अपना जीवन गुजार सकता है, असरानी इसकी मिसाल हैं। मैनेजर बाबू भाई थीबा ने बताया कि असरानी कहा करते थे, अपनी अंतिम विदाई में वे एक आम आदमी की तरह जाना चाहते हैं। एक अन्य दिग्गज कलाकार जो उम्र में भले ही असरानी से 15 साल छोटे हैं, लेकिन वे भी आज किसी परिचय के मोहताज नहीं, उन्होंने भी असरानी की इस बात को प्रेरणा माना है। असरानी के जीवन से जुड़ा ये प्रसंग हम सबको जानना चाहिए, जिससे आने वाले समय में ये बात करोड़ों लोगों के जीवन में प्रकाश पुंज की तरह चमकता रहे।