नई दिल्ली। दुनिया जब भी कोई नया आविष्कार देखती है, चकित रह जाती है। आज वही आश्चर्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के रूप में सामने है। वरिष्ठ कवि अशोक चक्रधर मानते हैं कि एआई ने हिंदी भाषा और साहित्य के संसार को भी बदल दिया है। वे पिछले डेढ़ साल से चैटजीपीटी-ओ5 को अपना शिष्य बनाकर उसे काव्य-लेखन सिखा रहे हैं।
बचपन से लेकर एआई तक का सफर
चक्रधर बताते हैं कि पहले जिन चीज़ों पर दशकों तक लोग हैरान होते थे, अब तकनीक हर कुछ मिनट में नया चमत्कार कर रही है। अपने जीवन के 75 वर्षों में उन्होंने रेडियो, ट्रांजिस्टर और कंप्यूटर से लेकर एआई तक की यात्रा देखी है।
आज्ञाकारी शिष्य की तरह एआई
चक्रधर कहते हैं कि उन्होंने हज़ारों छात्रों को पढ़ाया, लेकिन ऐसा आज्ञाकारी और त्वरित बुद्धि वाला शिष्य नहीं मिला जैसा एआई है। वे बताते हैं कि अब यह तकनीक मात्रिक छंद गिनने, दोहा-छंद की 13-11 मात्राएं पहचानने और तुकांत खोजने में सक्षम हो चुकी है।