व्यापार: कोविड-19 महामारी ने देश के आर्थिक हालात को पूरी तरह बदल दिया है। इसका प्रभाव यह हुआ कि कई लोगों की नौकरियां चली गईं। एक नौकरीपेशा व्यक्ति आमतौर पर अपने खर्चे और जिम्मेदारियां उसी हिसाब से तय करता है, जितनी कमाई होती है। ज्यादातर लोग बैंकों या वित्तीय संस्थानों से होम लोन लेकर घर बनाते हैं।
मार्सेलस इनवेस्टमेंट मैनेजर्स की एक रिपोर्ट बताती है कि कोविड के दौरान कर्ज लेने वाले हर 10 मिडिल क्लास परिवार में से एक अपना लोन नहीं चुका पाएगा। इन लोगों के लिए समय पर किस्तें भरना मुश्किल हो गया है और अब उन्हें बैंक से नोटिस मिल रहे हैं या उनके चेक बाउंस होने की स्थिति पैदा हो रही है। इस समस्या को लेकर बैंकों ने आरबीआई के समक्ष चिंता जताई है।
रिजर्व बैंक से मिली थी बड़ी राहत
कोविड के दौरान लोगों की घटी आय को देखते हुए आरबीआई ने कर्जदारों को राहत देने के लिए बड़ा कदम उठाया। इनमें किस्तों पर मोहलत (मोरेटोरियम) देना और कर्ज चुकाने की अवधि बढ़ाना शामिल था। लेकिन, ये उपाय उन्हीं लोगों के लिए पर्याप्त थे, जो कोविड के बाद भी अपनी आर्थिक स्थिति बनाए रख पाए।