मास्को। रुस ने तीन दशक बाद रूसी नौसेना का परमाणु-संचालित युद्धपोत एडमिरल नाखिमोव फिर से समुद्र में उतार दिया है। यह विशाल जहाज 28,000 टन का युद्धपोत जिसे किरोव क्लास क्रूजर के नाम से जाना जाता है, अपनी आधुनिकीकरण प्रक्रिया पूरी कर हाल ही में व्हाइट सी में समुद्री परीक्षण के लिए रवाना हुआ। यह जहाज न केवल अपनी ताकत के लिए चर्चा में है, बल्कि इसमें शामिल एस-400 वायु रक्षा प्रणाली इसे दुनिया के सबसे शक्तिशाली युद्धपोत बनाती है। यह रूसी नौसेना का भविष्य का फ्लैगशिप बनने की राह पर है। यह ट्रंप के साथ-साथ पूरे नाटो और यूरोप की टेंशन बढ़ाने वाला है। इसके पास आयरन डोम है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एडमिरल नाखिमोव की कहानी 1983 में शुरू हुई, जब इसे लेनिनग्राद में बनाना शुरू किया गया था। 1986 में इसे कालिनिन के नाम से लॉन्च किया था। यह प्रोजेक्ट 1144.2 ओरलान का हिस्सा है, जिस नाटो की ओर से किरोव क्लास नाम दिया गया। सालों की मरम्मत और आधुनिकीकरण के बाद, इसे प्रोजेक्ट 1144.2मी के तहत नया रूप दिया गया है। इसकी सबसे बड़ी ताकत है इसकी हथियार प्रणाली, जिसमें 80 क्रूज मिसाइलें लगी हुई हैं।
इनमें 3एम14टी कलिब्र मिसाइलें हैं, जो 2500 किलोमीटर तक की दूरी पर जमीनी लक्ष्यों पर सटीक हमले कर सकती हैं और जिरकॉन मिसाइलें, जो आवाज की रफ्तार से 9 गुना की गति से दुश्मन के जहाजों को तबाह कर सकती हैं, लेकिन इस युद्धपोत की असली ताकत इसकी वायु रक्षा प्रणाली में है। इसके 176 वर्टिकल लॉन्च सेल्स में से 96 सेल्स में एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की नौसैनिक संस्करण की मिसाइलें तैनात हैं। यह प्रणाली इसे आसमान में अभेद्य कवच प्रदान करती है।
एस-400 की 40एन6 मिसाइल मैक 14 की गति से हाइपरसोनिक टार्गेट्स, जैसे मैक 8 की गति से उड़ने वाले हथियारों को भी नष्ट कर सकती है। यह रूस-यूक्रेन युद्ध के साथ ऑपरेशन सिंदूर में भारत के खिलाफ अपनी ताकत साबित कर चुकी है। इसके अलावा, जहाज में पैंटसिर-एम प्रणाली भी लगी है, जो छोटी दूरी के हमलों से सुरक्षा देती है। अभी इसमें छह यूनिट्स ही लगी हैं। भविष्य में एस-500 या एम-550 प्रणालियों की मिसाइलें जोड़कर इसकी ताकत को और बढ़ाया जा सकता है, जो अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स और अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों को निशाना बना सकती हैं। इस पोत ने समुद्र में उतकर अमेरिका और नाटो सेना को टेंशन में डाल दिया है।