भोपाल । मप्र में सरकार का पूरा फोकस विकास पर है। इसके लिए सरकार ने सैकड़ों योजनाओं को स्वीकृति दे रखी है। लेकिन योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी हो रही है। इसकी वजह यह है कि प्रदेश के कई विभाग प्रभारियों के भरोसे चल रहे हैं। जानकारों का कहना है कि जब बड़े विभाग का प्रभार किसी अफसर को दिया जाता है तो वह प्राथमिकता से पहले अपने मूल विभाग का काम करता है। गौरतलब है कि लोकनिर्माण विभाग सहित करीब 15 विभाग प्रभार पर चल रहे हैं।
मंत्रालयीन अधिकारियों का कहना है कि आईएएस की कमी के कारण भी सरकार की मजबूरी है कि वह एक अफसर को दो-तीन विभाग का प्रभार दे रही है। इनमें से लोकनिर्माण जैसा बड़ा विभाग भी प्रभार पर है। जबकि प्रदेश में रोड नेटवर्क पर इस समय बड़ा काम चल रहा है। मोहन सरकार एक साल में 268 से अधिक योजनाओं को स्वीकृत दे चुकी है तो करीब 31 हजार करोड़ के प्रस्ताव लंबित है। जनता की ओर से लगातार अलग-अलग क्षेत्रों में रोड नेटवर्क से जुड़ी मांग आ रही है। महिला एवं बाल विकास विभाग का भी कार्यक्षेत्र काफी विस्तारित है।