चुनाव आयोग की लक्ष्मण रेखा लांघने के लिए क्या-क्या तोड़ निकाल लेती हैं पार्टियां

चुनाव आयोग की लक्ष्मण रेखा लांघने के लिए क्या-क्या तोड़ निकाल लेती हैं पार्टियां

नई दिल्ली: तू डाल-डाल तो मैं पात-पात.. वाली कहावत तो आपने सुनी ही होगी। आजकल तेलंगाना के चुनाव में राजनीतिक दल और चुनाव आयोग में कुछ ऐसा ही चल रहा है। राज्य की सत्तारूढ़ बीआरएस और विपक्षी कांग्रेस ने चुनाव प्रचार में विज्ञापन का जो ‘चोर दरवाजा’ खोजा है उसपर काफी हो-हल्ला मचा हुआ है। यहां तक कि चुनाव आयोग को सख्त ऐक्शन लेना पड़ा। रायथु बंधु स्कीम का हो या फिर कर्नाटक सरकार का तेलंगाना के न्यूज पेपरों में विज्ञापन। मामले के तूल पकड़ने के बाद चुनाव आयोग ऐक्शन में आया और कार्रवाई की। पर राजनीतिक दलों ने प्रचार के लिए जो दांव खेला वो कम चौंकाने वाला नहीं है।

प्रचार का ‘चोर दरवाजा’

दरअसल, राज्य में चुनाव की घोषणा होने के साथ ही वहां आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गई थी। ऐसे में राजनीतिक दलों को अपनी योजनाओं का प्रचार करने का मौका नहीं मिल रहा था। फिर क्या था राजनीतिक दलों ने इसका दूसरा रास्ता निकाला। कांग्रेस ने तो अपनी पूरी कर्नाटक सरकार और मंत्रियों को प्रचार में उतार दिया। यही नहीं, कर्नाटक की योजनाओं का प्रचार तेलंगाना चुनाव में किया जाने लगा। राज्य में 30 नवंबर को वोटिंग है और 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम आएंगे।

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