नई दिल्ली : रेलवे को साल 2017 से 2021 के बीच खानपान, विज्ञापन, पार्किंग, विश्राम स्थल जैसे गैर यात्री किराया स्रोतों से टार्गेट के मुकाबले कम आय हुई है। हालांकि, स्क्रैप या कबाड़ बेचने से उसे टार्गेट से ज्यादा रकम प्राप्त हुई। रेलवे पर कैग की अनुपालन लेखा परीक्षण रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। इसमें 2017 से 2021 के दौरान चार वर्षो में रेलवे की आय का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया है। कैग ने कहा है कि रेलवे बोर्ड ने चल परिसम्पत्तियों के माध्यम से विज्ञापन की नीति जनवरी 2017 में शुरू की थी। इस नीति का मकसद भारतीय रेलवे को आंतरिक और बाहरी विज्ञापनों से लैस संयुक्त ट्रेन पैकेज की पेश करने की सुविधा प्रदान करना था। रेलवे बोर्ड ने राइट्स को सलाहकार के रूप में नियुक्त किया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि फरवरी 2018 में रेलवे बोर्ड ने राइट्स द्वारा करार देने में देरी के कारण क्षेत्रीय रेलवे को बोली का प्रबंधन सौंपने का फैसला किया। साल 2018-19 से 2020-21 की अवधि के दौरान इस नीति के तहत क्षेत्रीय रेलवे द्वारा विभिन्न संविदाओं को अंतिम रूप दिया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, अभिलेखों की जांच से पता चला है कि भारतीय रेल ने 14 क्षेत्रीय रेलवे में 93.25 करोड़ रुपये (28.28%) कमाए। जबकि अनुमानित आय 329.70 करोड़ रुपये तय की गई थी।