गौतम अडानी समूह की कंपनियों के कथित घपले उजागर करती अमेरिकी वित्तीय फर्म हिंडनबर्ग की जब से रिपोर्ट आई है, तभी से विपक्ष ने इसे नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ हाथ आया बड़ा हथियार मान लिया है। सड़क से लेकर संसद तक विपक्ष ने हंगामा किया। हंगामे का आलम यह रहा कि लगातार 21 दिनों तक संसद का बजट सत्र सुचारू रूप से नहीं चल पाया। अपनी गाढ़ी कमाई से सरकार को टैक्स देने वाले लोगों के 200 करोड़ रुपये संसद में हंगामे की भेंट चढ़ गए। संसद के पूरे सत्र के दौरान सिर्फ 6 बिल ही पास हो पाए। विपक्ष के 13 दल अडानी मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) बनाने की मांग पर अड़े रहे। सरकार ने उनकी बातें अनसुनी कर दीं। सरकार के नुमाइंदे यह तर्क देते रहे कि जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट और सेबी के पास है तो अब और किसी जांच की जरूरत ही क्यों ? उन्होंने आरोप भी मढ़ दिया कि विपक्ष को न्याय व्यस्था पर भरोसा नहीं है।