जिनके परिजन शराब से मरे, उन्हें अफसर धमका रहे:शराब से मौत बताई तो केस करेंगे

जिनके परिजन शराब से मरे, उन्हें अफसर धमका रहे:शराब से मौत बताई तो केस करेंगे

पोस्टमॉर्टम की क्या जरूरत है? अगर शराब से मौत निकली तब तो और फंसोगी ही न। चुपचाप अंतिम संस्कार कर दो। कोई पूछे तो ठंड से मौत बता देना। 4 लाख मुआवजा भी मिल जाएगा। शराब से मौत में तो न मुआवजा मिलेगा, न कोई मदद। उल्टा केस अलग हो जाएगा।

बिहार के छपरा में शराब से हुई मौत के मामले में परिजनों को सरकारी अफसर कमोबेश ऐसी ही भाषा में समझा रहे हैं। फिर चाहे वह बहरौली गांव की मुरावती देवी हों या हुस्सेपुर गांव का नरेंद्र सिंह। शब्दों में हेरफेर के साथ मकसद एक ही है कि कोई ये न कहे कि उसके परिजन की मौत शराब से हुई है।

इस समझाइश का नतीजा भी साफ दिखाई दे रहा है। सरकारी आंकड़ों में अब तक जहरीली शराब से 30 मौतें हुई हैं, जबकि दैनिक भास्कर टीम के पास 59 लोगों के नाम और पते हैं, जिनके रिश्तेदारों या परिजनों ने शराब से मरने की बात कही है। वैसे-ग्रामीणों और स्थानीय कर्मचारियों की मानें तो मरने वालों का आंकड़ा 65 से ज्यादा है। भास्कर टीम ने प्रभावित इलाकों में दो दिन रहकर पूरे मामले की पड़ताल की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *