मुझे सब याद आ रहा था। मैं यहां से स्ट्रेचर पर बाहर जा रहा था, वही ड्रेसिंग रूम था। कुछ हासिल करने का अहसास महसूस होता है। जो चीजें हुईं है और जैसी चीजें हुई हैं, उसके बाद मौका मिला। ये जर्नी बहुत सुंदर है। 7 रन मुझे ज्यादा बड़े लग नहीं रहे थे, क्योंकि लेफ्ट आर्म स्पिनर है। 5 फील्डर रखे थे, उससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था मुझे। 5 फील्डर क्या, 10 फील्डर होते.. तो भी मुझे मारना ही था।
ये बयान है दुबई में रविवार को भारत-पाकिस्तान मैच के हीरो रहे हार्दिक पंड्या का। इसकी शुरुआत 2018 की याद से होती है, जिसमें चोटिल हार्दिक स्ट्रेचर पर इसी स्टेडियम से बाहर ले जाए गए थे। बयान खत्म होता है उस कॉन्फिडेंस से जो हार्दिक ने 2018 से 2022 के बीच हासिल किया।मैच के बाद उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी कहा- ‘7 रन क्या, अगर आखिरी ओवर में 15 रन भी होते तो मैं बनाने की कोशिश करता।’ हालांकि, हार्दिक की इस कोशिश वाली बात में भी कॉन्फिडेंस पूरा था।