आधार (Aadhaar) के दुरुपयोग को रोकने और इसका दायरा बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाने की तैयारी हो रही है। आधार जारी करने वाली एजेंसी यूआईडीएआई (UIDAI) के मुताबिक जन्म और मृत्यु के डेटा (birth and death data) को आधार से जोड़ा जाएगा। नवजात शिशु को अस्थाई आधार नंबर (Temporary Aadhaar number) जारी किया जाएगा और बाद में इसे बायोमीट्रिक डेटा के साथ अपग्रेड किया जाएगा। साथ ही मृत्यु के पंजीकरण के रेकॉर्ड को भी आधार के साथ जोड़ा जाएगा ताकि इन नंबर के दुरुपयोग को रोका जा सके। यानी आधार में अब हर व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक के आंकड़े जोड़े जाएंगे। इसके लिए जल्दी ही दो पायलट प्रोग्राम शुरू करने की तैयारी है। आधार को 2010 में लॉन्च किया गया था और देश की लगभग पूरी वयस्क आबादी को इसमें एनरॉल किया जा चुका है।
एक अधिकारी ने कहा कि जन्म के साथ ही आधार नंबर अलॉट करने से यह सुनिश्चित होगा कि बच्चे और परिवार को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके। इससे कोई भी सामाजिक सुरक्षा के लाभ (social security benefits) से वंचित नहीं रहेगा। इसी तरह मृत्यु के डेटा को आधार को जोड़ने से डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) योजना के दुरुपयोग को रोका जा सकेगा। अभी कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें लाभार्थी की मौत के बाद भी उसके आधार का इस्तेमाल किया जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक इसके लिए जल्दी ही दो पायलट प्रोग्राम शुरू किए जाएंगे।
एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि अभी पांच साल के बच्चों का बायोमीट्रिक डेटा लिया जाता है। हमारी टीम बच्चों के घर जाकर उनकी बायोमीट्रिक डिटेल लेकर उन्हे परमानेंट आधार नंबर दे सकती है। बच्चे की उम्र 18 साल होने पर बायोमीट्रिक को फिर से रजिस्टर किया जाता है। पांच से 18 साल की उम्र वाली 93 फीसदी आबादी का आधार रजिस्ट्रेशन है लेकिन पांच साल से कम उम्र के बच्चों में यह संख्या केवल 25 फीसदी है। यूआईडीएआई के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर जनरल अशोक पाल सिंह ने कहा कि नवजात बच्चों को प्रॉविजनल आधार नंबर जारी करने का प्रावधान पहले से ही है। लेकिन इस प्लान को अब लागू किया जा रहा है।