चीन के कर्ज में डूबे श्रीलंका की इकोनॉमी बेहद बुरे दौर से गुजर रही है। महंगाई इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि लोग खाने-पीने का सामान खरीदने के लिए जूझ रहे हैं। कोरोना महामारी के कारण खजाना लगातार खाली हो रहा है। फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व 10 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। ऐसे में लोन चुकाना श्रीलंका के लिए मुश्किल हो गया है और वह साल 2022 में दिवालिया हो सकता है।
हालांकि, श्रीलंका की सरकार ने सोमवार को 1.2 अरब डॉलर (करीब 8 हजार करोड़ भारतीय रुपए) के इकोनॉमिक रिलीफ पैकेज की घोषणा की है। वित्त मंत्री बेसिल राजपक्षे का दावा है कि देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोन डिफॉल्ट नहीं करेगा। उन्होंने ये भी कहा कि राहत पैकेज से महंगाई नहीं बढ़ेगी और कोई नया टैक्स भी जनता पर नहीं लगाया जाएगा।
चीन के कर्ज में डूबा श्रीलंका
देश को अगले 12 महीनों में 7.3 अरब डॉलर (करीब 54,000 करोड़ भारतीय रुपए) का घरेलू और विदेशी कर्ज चुकाना है। कुल कर्ज का लगभग 68% हिस्सा चीन का है। उसे चीन को 5 अरब डॉलर (करीब 37 हजार करोड़ रुपए) चुकाने हैं। पिछले साल उसने गंभीर वित्तीय संकट से निपटने में मदद के लिए चीन से अतिरिक्त 1 अरब डॉलर (करीब 7 हजार करोड़) का लोन लिया था, जिसका भुगतान किस्तों में किया जा रहा है।