तमिलनाडु के कुन्नूर से करीब 5 किलोमीटर पहले एक गांव है नंजप्पा चथिराम। यह वही गांव है जहां CDS बिपिन रावत और उनकी टीम का हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ। इस गांव की कहानी भी बड़ी रोचक है। इसे बसे हुए महज 50 साल ही हुए हैं। चारों तरफ से चाय बागान से घिरा है। चाय बागान ही यहां के लोगों की कमाई का जरिया भी है।
पिछले तीन दिनों से पूरा गांव छावनी बना हुआ है। गांव के एंट्री पॉइंट पर तमिलनाडु पुलिस मुस्तैद है। जहां हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ वहां इंडियन एयर फोर्स और इंडियन आर्मी के जवान पहरा दे रहे हैं। गांव में करीब 90 घर हैं, जहां करीब 300 लोग रहते हैं। साल 1970 के दशक में श्रीलंका से भारत आए इन लोगों ने नंजप्पा चथिराम को अपना घर बनाया। अब यह 300 से 400 रुपए की दिहाड़ी पर अपना गुजर-बसर कर रहे हैं।
यूनियन काउंसलर के मेंबर लक्ष्मण बताते हैं, 300 लोगों की आबादी में से वोटर 250 ही हैं। इनमें से अधिकतर चाय बागानों में मजदूरी करते हैं। जिन्हें बागान में काम नहीं मिलता वे मजदूरी के लिए दूसरी जगहों पर जाते हैं। ज्यादातर बागानों के मालिक बेंगलुरु में रहते हैं। इन्हीं ग्रामीणों की देखरेख में बागान फलते-फूलते हैं। सभी को भारत की नागरिकता भी मिल चुकी है।