वैज्ञानिकों को गाय और सूअरों के ब्लड में माइक्रोप्लास्टिक मिली है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह दुनिया का पहला ऐसा मामला है। रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि समझने की जरूरत है कि इंसानों तक माइक्रोप्लास्टिक कितनी मात्रा पहुंच रही होगी। शोधकर्ताओं ने खतरा जताया है कि माइक्रोप्लास्टिक इनके अंगों में जमा हो सकती है और इनके दूध के जरिए दूसरों तक पहुंच सकती है।
रिसर्च करने वाली एम्सटर्डम की ब्रिजे यूनिवर्सिटी का कहना है, हमने एक फार्म में 12 गायों और 6 सूअरों पर स्टडी की। रिसर्च के दौरान इनके ब्लड में प्लास्टिक के बारीक कण मिले। यह खतरा सिर्फ जानवरों के लिए ही नहीं है, बल्कि इंसानों के लिए सोचने वाली बात है। ये प्लास्टिक के महीन कण फूड चेन के जरिए एक से दूसरे में पहुंच सकते हैं। जैसे- गाय के दूध से इंसानों में इसके पहुंचने का खतरा है।
ऐसे ब्लड तक पहुंचते हैं प्लास्टिक के कण
शोधकर्ता लेसली कहती हैं, इससे पहले भी दूसरे जानवरों में प्लास्टिक के महीन कण पाए गए हैं, लेकिन यह पहली बार है जब गायों और सूअरों के ब्ल्ड में माइक्रोप्लास्टिक मिला है। वह कहती हैं, मिट्टी में मौजूद प्लास्टिक जानवरों में पहुंचती है। आंतें भी इन कणों तो तोड़ नहीं पातीं, नतीजा ये ब्लड तक पहुंच जाते हैं। ये इतने बारीक होते हैं कि इन्हें आंखों से देख पाना मुश्किल है।