नई दिल्ली
देश में कोयला आपूर्ति में गिरावट का हवाला देकर लोड शेडिंग की आशंका जताई जा रही है। टाटा पावर ने दिल्ली में घरेलू उपभोक्ताओं को मेसेज भेजकर लोड शेडिंग की आशंका जताई तो हड़कंप मच गया। उधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख दिया। तमाम तरह की अटकलों के बीच केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की और साफ शब्दों में कहा कि देश में ना बिजली की कमी थी, न है और न होगी।
केंद्र सरकार का आश्वासन
हालांकि, उन्होंने भी यह स्वीकार किया कि पहले बिजली उत्पादन कंपनियों के पास 17 दिनों का कोयला भंडार हुआ करता था जो घटकर 4 दिनों का रह गया। ऐसे में संदेह होता है कि क्या रोशनी के त्योहार दिवाली में जब मांग बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी तब बिजली की पर्याप्त आपूर्ति हो पाएगी या फिर देश के कुछ इलाकों में कुछ देर के लिए ही सही, दिवाली अंधेरे में ही तो नहीं मनेगी? आइए कोयले और बिजली का कनेक्शन समझकर इस सवाल को जवाब ढूंढने की कोशिश करते हैं
बिजली के लिए कोयले पर निर्भरता ज्यादा
दरअसल, देश में बिजली उत्पादन उद्योग कोयले पर बहुत ज्यादा निर्भर है। देश में कुल 388 गीगावॉट बिजली उत्पादन की क्षमता वाले संयंत्र हैं जिनमें 54% यानी 208.8 गीगावॉट बिजली कोयला आधारित संयंत्रों से पैदा होती है। पिछले वर्ष देश में कोयले से 1,125.2 टेरावॉट-घंटे बिजली का उत्पादन हुआ था। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (Central Electricity Authority) के आंकड़े के मुताबिक, देश में कोयला आधारित बड़े 135 पावर प्लांट्स में 4 अक्टूबर को आधे से कुछ ज्यादा संयंत्रों में तीन दिन से भी कम का कोयला भंडार बचा था। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने रविवार को भी कहा कि अभी पावर प्लांट्स के पास चार-साढ़े चार दिन का ही कोयला भंडार बचा है, लेकिन उसे हर दिन की खपत के बराबर कोयला मिल जा रहा है।