मोतियाबिंद को रोकने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नया छर्रेनुमा इम्प्लांट तैयार किया है जो आंखों में मोतियाबिंद होने से रोकता है। अगर मोतियाबिंद हो गया है तो यह इम्प्लांट उसे बढ़ने नहीं देता और बिना सर्जरी के इसका इलाज करने में मदद करता है।
यह इम्प्लांट आंखों में कैल्शियम का स्तर बढ़ने से रोकता है। यह किस हद तक असरदार है, इसकी जांच के लिए क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। जल्द ही ह्यूमन ट्रायल शुरू होगा।
वैज्ञानिकों का कहना है यह इम्प्लांट बड़ा बदलाव ला सकता है क्योंकि दुनियाभर के बुजुर्गोँ में मोतियाबिंद एक आम बीमारी बनती जा रही है। यूके में हर साल मोतियाबिंद के 3.50 लाख ऑपरेशन किए जाते हैं। 65 साल की उम्र के हर तीन में से एक इंसान की एक या दोनों आंखों में मोतियाबिंद होता है।
मोतियाबिंद कब, क्यों और कैसे होता है, पहले इसे समझें
आसान भाषा में समझें तो आंखों पर सफेद चकत्ते जैसे पैच बनने को हो मोतियाबिंद कहते हैं। ऐसा होने पर इंसान को सबकुछ धुंधला दिखाई देता है। मरीजों को चलने-फिरने में भी दिक्कत होती है, खासकर रात में। अगर समय पर इसका इलाज न हो तो मरीज को स्थायीतौर पर दिखना बंद हो सकता है।
यह बुजुर्गों में होने वाली बीमारी है। बढ़ती उम्र में अगर स्मोकिंग और अल्कोहल का सेवन करते हैं तो मोतियाबिंद का खतरा और ज्यादा बढ़ता है। यह बीमारी को बढ़ाने वाले रिस्क फैक्टर्स हैं।