इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल के दाम में तेजी और देश में कोयले की किल्लत महंगाई बढ़ाते हुए तेज आर्थिक तरक्की की राह में रोड़ा अटका सकती है। ये बातें काफी अहम हैं क्योंकि इसी हफ्ते भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की पॉलिसी मीटिंग होने वाली है, जहां ब्याज दरें बढ़ाए जाने का अनुमान पिछले कुछ दिनों से लगाया जा रहा था।
कोयले की कमी बंद करा सकती है फैक्ट्रियां
देश में लगभग 70% बिजली कोयले से बनाई जाती है और लगभग 85% क्रूड का इंपोर्ट किया जाता है। कोयले की कमी फैक्ट्रियां बंद करा सकती है, जो दिक्कत वाली बात है। ऐसे में क्रूड ऑयल का इंपोर्ट बढ़ सकता है। वह भी तब, जब इंटरनेशनल मार्केट में उसकी कीमत सात साल के ऊंचे स्तर पर चल रही है और इकोनॉमी पर दबाव बना रही है।
करेंसी और बॉन्ड मार्केट पर भारी दबाव
फ्यूल (क्रूड ऑयल और कोयले) से जुड़ी दोनों घटनाओं के चलते महंगाई और व्यापार घाटा बढ़ने के आसार से करेंसी और बॉन्ड मार्केट पर भारी दबाव बना है। इस महीने एशियाई करेंसी में रुपया सबसे कमजोर रहा है जो बुधवार को डॉलर के मुकाबले 0.2% कमजोर होकर 74.60 पर चला गया था। 10 साल के बॉन्ड की यील्ड मंगलवार को अप्रैल 2020 के बाद के उच्चतम स्तर 6.28% पर पहुंच गई थी।