60 साल से अधिक उम्र के लोगों यानी सीनियर सिटीजंस को न सिर्फ टैक्स छूट का लाभ मिलता है बल्कि उन्हें निवेश और रिटर्न पर भी इनकम टैक्स से खास राहत मिलती है। सीनियर सिटीजंस (वरिष्ठ नागरिकों) को 3 लाख रुपए तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होता है।
टैक्स लिमिट में छूट
वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक वित्तीय वर्ष में टैक्स छूट की सीमा 3 लाख रुपए है, वहीं एक आम आदमी को केवल 2.5 लाख रुपए तक ही टैक्स छूट मिलती है। अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह 5 लाख रुपए (80 साल से अधिक उम्र) है। यानी अगर किसी सीनियर सिटीजन की सालाना आय 3 लाख रुपए तक है और TDS की कटौती नहीं की गई है, तो उसे इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं है। इसी तरह अति वरिष्ठ नागरिकों को 5 लाख रुपए तक सालाना इनकम न होने पर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं है।
75 साल से ज्यादा उम्र है तो रिटर्न की जरूरत नहीं
75 साल से ज्यादा उम्र वालों को टैक्स रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं होती। 75 साल से अधिक की उम्र के ऐसे लोगों को आईटीआर भरने की जरूरत नहीं होती है, जो सिर्फ पेंशन या बैंक के ब्याज से होने वाली आय पर निर्भर हैं। हालांकि अगर उनकी दूसरे सोर्सेज से भी कमाई हो रही है, चाहे वह रेंट हो या फिर कुछ और तो उन पर हमेशा की तरह आईटीआर भरने की बाध्यता होगी।
इंश्योरेंस प्रीमियम के भुगतान पर डिडक्शन
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80D के तहत सीनियर सिटीजन द्वारा भुगतान किए गए 50 हजार रुपए तक के मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम को डिडक्शन के तौर पर मंजूरी है। दूसरे नागरिकों के लिए यह सीमा 25 हजार रुपए तय की गई है।
चिकित्सा उपचार पर होने वाले खर्च के लिए कटौती
सेक्शन 80DDB के तहत सीनियर सिटीजन टैक्सपेयर कुछ स्पेसिफिक बीमारियों के इलाज पर हुए खर्च के लिए 1 लाख रुपए तक का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। 60 साल तक की उम्र का व्यक्ति इस पर 40 हजार रुपए तक का डिडक्शन ही ले सकता है।