अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने के बाद सबसे ज्यादा चिंता जताई गई उसके हाथ लगने वाले खजाने की। पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा अफीम की खेती अफगानिस्तान में होती है और ऐसे में सवाल उठने लगे कि तालिबान इस व्यापार को कैसे आगे ले जाएगा। संयुक्त राष्ट्र के ऑफिस ऑन ड्रग्स ऐंड क्राइम की रिपोर्ट में दावा किया गया कि देश की GDP का 11% अफीम की खेती से ही आता है।
इसके मुताबिक इस पर टैक्स लगाकर तालिबान मोटी रकम कमाता है। हालांकि, कई साल से देश में ग्रामीण रोजगार और पॉपी (Poppy) उत्पादन को स्टडी कर रहे सामाजिक-अर्थशास्त्री डेविड मैन्सफील्ड का कहना है कि तालिबान के पास अफीम के अलावा भी कमाई के कई साधन हैं।
तालिबान लगाएगा अफीम की खेती पर बैन?
डेविड ने बताया है कि तालिबान इसके उत्पादन पर प्रतिबंध शायद ही लगाएगा क्योंकि पिछली बार सरकार में आने पर उसने ऐसा ही किया था और लोगों को नाराज कर दिया। इसके बाद की हामिद करजई सरकार में वह खुद किसानों और खेती का शुभचिंतक दिखाया और उनका समर्थन जीता। अब भले ही वह प्रतिबंध की बात करे लेकिन सच्चाई कुछ और हो सकती है। तालिबान के अंदर भी कई धड़े हैं और अब तक वे मिलकर लड़ते रहे। अब जब उनके सामने एक दुश्मन नहीं है तो आपस में मतभेद सामने आने लगे हैं।