नई दिल्ली/चंडीगढ़
क्रिकेट की पिच पर चौके-छक्के लगाने वाले नवजोत सिंह सिद्धू ने जब राजनीति की पिच पर कदम रखा होगा, तभी ये भावना मन में पैदा हो गई होगी कि एक दिन कैप्टन बनना है। पार्टी बदली, शेर सुनाए, चर्चा में रहे, पंजाब में अपनी ही पार्टी के सीएम पर हमले किए और हाईकमान का भरोसा जीतकर वह पार्टी अध्यक्ष भी बन बैठे। उनकी ताबड़तोड़ सियासी बैटिंग के चलते ही कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसा दिग्गज खिलाड़ी आउट हो गया। आइए समझते हैं सीएम की कुर्सी तक पहुंचना सिद्धू के लिए आसान क्यों नहीं है?
कैप्टन की कैबिनेट में आने के बाद से ही सिद्धू विवादों में रहे। कभी उनके ऊपर ठीक तरह से पद और जिम्मेदारी न संभालने के आरोप लगे तो कभी सीएम से अनबन की खबरें चर्चा में रहीं। वह टीवी की दुनिया से ब्रेक लेकर फुलटाइम सियासी पारी खेलना शुरू कर चुके थे। यह सिद्धू की महत्वाकांक्षा ही थी कि उन्होंने अपनी ही सरकार के जनता से किए वादों को लपकना शुरू कर दिया और उसे पूरा न कर पाने का मैसेज पार्टी हाईकमान को देने लगे। इधर, पंजाब में गुटबाजी खुलकर सामने आने लगी। उनके बयानों से कांग्रेस के सामने असहज स्थिति भी पैदा होने लगी। कुछ महीने ऐसे ही चले। सिद्धू की मंशा कैप्टन की जगह खुद सीएम बनने की थी।