इलाहाबाद हाई कोर्ट:गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की बात कही

इलाहाबाद हाई कोर्ट:गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की बात कही

इन दिनों इलाहाबाद हाई कोर्ट सुर्खियों में है। इसकी वजह गोकशी से जुड़े एक मामले में फैसला देते हुए गायों को लेकर उसकी टिप्‍पणी है। कोर्ट ने गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की बात कही है। उसने गाय को एकमात्र पशु बताया है जो ऑक्सिजन लेता और छोड़ता है। 12 पन्‍ने के इस आदेश में गायों से जुड़ी कई प्रचलित बातें की गई हैं। इन्‍हें मॉर्डन साइंस मान्‍यता नहीं देती है। खैर, कोर्ट के आदेश के बाद गाय पर चर्चा ने दोबारा जोर पकड़ लिया है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार को एक जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान गायों के संदर्भ में कई बातों का जिक्र किया। जस्टिस शेखर यादव की बेंच ने ये टिप्पणियां गोकशी के एक आरोपी जावेद की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कीं। कोर्ट ने कहा कि गोरक्षा को हिंदुओं का मूल अधिकार बनाया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि गाय तब भी उपयोगी होती है जब वह बूढ़ी और बीमार हो जाती है। उसका गोबर और मूत्र खेती करने, दवाओं को बनाने में बहुत उपयोगी है। लोग गाय को मां की तरह पूजते हैं। इस दौरान कोर्ट ने यह भी बताया कि गाय की रक्षा और उसे बढ़ावा देना किसी मजहब से नहीं जुड़ा है। गाय तो भारत की संस्कृति है और संस्कृति की रक्षा करना देश में रह रहे हर नागरिक का फर्ज है चाहे उनका मजहब कुछ भी हो। यहां तक मुस्लिमों ने भी अपने शासन के दौरान भारतीय संस्कृति में गाय की अहमियत को समझा। अपने आदेश में कोर्ट ने पंचगव्‍य का जिक्र करते हुए कहा कि इसे कई असाध्‍य बीमारियों के उपचार में इस्‍तेमाल किया जाता है। यह दूध, घी, और गोबर से बनाया जाता है। कोर्ट ने यह भी बताया कि गाय एकमात्र पशु है जो ऑक्सिजन लेती और छोड़ती है।

गायों पर पीठ ने जो बात कही, उनमें से कई के ठोस वैज्ञानिक साक्ष्‍य नहीं हैं। साइंस इन्‍हें ‘मान्‍यताएं’ यानी हाइपोथिसिस मानता है। ऑक्सिजन वाली बात को ही लेते हैं। इसे लेकर बीबीसी पर एक विस्‍तृत लेख मिलता है। इस लेख में बताया गया है कि सांस लेते हुए हम जो वायु लेते हैं, उसमें नाइट्रोजन और ऑक्सिजन के साथ थोड़ी मात्रा में कार्बन डाइऑक्‍साइड और अन्‍य गैसें भी होती हैं। इसमें ऑक्‍सीजन का अनुपात 21 फीसदी होता है। वहीं, छोड़ी जाने वाली सांस में ऑक्‍सीजन का यही अनुपात घटकर 16 फीसदी रह जाता है। सांस खींचते हुए हम 0.04 फीसदी कॉर्बन डाइऑक्‍साइड और 79 फीसदी नाइट्रोजन लेते हैं। वहीं, छोड़ते हुए कॉर्बन डाइऑक्‍साइड का अनुपात 4 फीसदी और नाइट्रोजन का 79 फीसदी रहता है। इस तरह सिर्फ एकमात्र गाय ही नहीं है जो ऑक्सिजन लेती और छोड़ती है।

हालांकि, विज्ञान भी कई मौकों पर गच्‍चा खाया है। इस बात को कोरोना काल में कई बार देखा गया। पहले कुछ और बाद में कुछ कहा गया। प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल ‘अनल्‍स ऑफ इंटरनल मेडिसिन’ अपने यहां अप्रैल 2020 में पब्लिश एक पेपर से पीछे हटा। इसमें जोर देकर कहा गया था कि कोरोना को फैलने से रोकने में फेस मास्‍क प्रभावी नहीं हैं। कोई नहीं जानता कि इस गलत जानकारी से कितने लोग संक्रमित हुए हों। आइवरमेक्टिन के बारे में भी ऐसे ही दावे किए गए कि यह दवा 90 फीसदी से ज्‍यादा तक कोरोना से होने वाली मौत रोक देती है। हालांकि, बाद में यह दावा वापस ले लिया गया। ऐसे में कहा जा सकता है कि विज्ञान भी अंतिम सत्‍य नहीं है। खोज ऐसा विषय है जो निरंतर जारी रहता है।

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