ऐसे लोग जो कोरोना के गंभीर संक्रमण से जूझ चुके हैं या लम्बे समय तक बीमार रहे हैं उनमें एंटीबॉडीज ज्यादा बनी हैं। यह दावा जर्नल ऑफ इंफेक्शियस डिजीज में पब्लिश रिसर्च में किया गया है। रिसर्च के मुताबिक, कोरोना के गंभीर संक्रमण से जूझने वाले मरीजों में जो अधिक एंटीबॉडीज बनीं है वोभविष्य में इन्हें री-इंफेक्शन से बचाएंगी।
शोधकर्ताओं ने 830 लोगों पर रिसर्च की। इसमें 548 हेल्थकेयर वर्कर और 283 सामान्य लोगों को शामिल किया गया। रिसर्च का लक्ष्य संक्रमण के बाद एंटीबॉडी रिस्पॉन्स, लक्षण और संक्रमण के रिस्क फैक्टर को मॉनिटर करना था।
कुल 548 में से 93 लोग ऐसे थे जो स्टडी के दौरान 6 माह के अंदर संक्रमित हुए थे। इनमें से 24 लोगों को कोरोना का गंभीर संक्रमण हुआ और 14 मरीज एसिम्प्टोमैटिक थे। एक तिहाई मरीजों में महीने तक लक्षण दिखे वहीं, संक्रमित हुए कुल 10 फीसदी मरीजों में 4 माह तक लक्षण दिखाई दिए थे।
रिसर्च करने वाले रटगर्स रॉबर्ट वुड जॉनसन मेडिकल स्कूल के शोधकर्ता डेनियल बी हॉर्टन का कहना है, कोरोना से उबरने वाले ज्यादातर मरीजों की एंटीबॉडीज 6 माह तक बरकरार रही थी। कोरोना के गंभीर संक्रमण से जूझने वाले 96 फीसदी मरीजों में एंटीबॉडीज अधिक बनीं। जिन लोगों में लगातार लक्षण नहीं दिख रहे थे उनमें भी समय के साथ अधिक एंटीबॉडीज बनीं।