पेगासस जासूसी विवाद के बीच रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को संसद में कहा कि स्पायवेयर बेचने वाले इजराइली ग्रुप NSO के साथ उसका कोई लेनदेन नहीं है। भारत सहित कई देशों में लोगों के फोन की निगरानी के लिए इस ग्रुप के पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होने के आरोप लग रहे थे।
रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि मंत्रालय का NSO ग्रुप टेक्नोलॉजीज के साथ कोई ट्रांजैक्शन नहीं हुआ है। उनसे पूछा गया था कि क्या सरकार ने इस ग्रुप के साथ कोई लेनदेन किया है। 19 जुलाई को मानसून सत्र शुरू होने के बाद से ही विपक्षी दल लगातार इस मसले पर सदन की कार्यवाही नहीं चलने दे रहे थे।
इससे पहले IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया था, जिनमें कहा गया था कि पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल भारतीयों की जासूसी करने में किया गया है। उनका कहना था कि संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले लगाए गए आरोपों का मकसद भारतीय लोकतंत्र की छवि को नुकसान पहुंचाना है।
विपक्ष के अलावा पार्टी से भी उठी जांच की मांग
विपक्ष ने इस मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में हंगामा कर रखा है। भाजपा के ही राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि यह बिल्कुल साफ है कि पेगासस स्पायवेयर एक कॉमर्शियल कंपनी है, जो पेड कॉन्ट्रैक्ट्स पर काम करती है। इसलिए यह सवाल लाजमी है कि ऑपरेशन के लिए उसे पैसे किसने दिए? भारत सरकार नहीं तो कौन? भारत की जनता को सच्चाई से वाकिफ कराना मोदी सरकार का फर्ज है।