व्यापार: हर नोटिस टैक्स चोरी पकड़ने वाला नहीं होता। टैक्सपेयर्स को सही रास्ता दिखाने और जानकारी ठीक कराने के लिए भी आयकर विभाग नोटिस भेज रहा है। दिल्ली के एक कारोबारी को अपने बैंक अकाउंट में आठ लाख रुपये जमा करने पर आयकर विभाग से नोटिस मिल गया। बहुतों के गलत रिटर्न या सूचनाओं में असंगति पर नोटिस आए हैं। आम धारणा है कि आयकर विभाग टैक्स चोरी पकड़ता है, तो नोटिस भेजता है, लेकिन अब यह जरूरी नहीं है।
2025 में अब तक, 15 लाख से ज्यादा ई-नोटिस जारी किए गए हैं। पिछले कुछ महीनों में, कई वेतनभोगी कर्मचारियों और कारोबारियों ने आयकर नोटिस मिलने की जानकारी दी है। ये नोटिस उत्पीड़न नहीं, बल्कि टैक्स सिस्टम के पूर्व अनुमानित अनुपालन की दिशा में बदलाव के हिस्से के रूप में जारी हुए हैं।
आयकर विभाग अब बैंकों, प्रॉपर्टी रजिस्ट्री ऑिफस, स्टॉक एक्सचेंज और जीएसटी फाइलिंग से प्राप्त होने वाले डाटा को एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) में शामिल कर रहा है। करदाता की तरफ से घोषित की गई इनकम और थर्ड पार्टी से जुटाए आंकड़ों में तालमेल न होने पर ऑटोमैटिक अलर्ट जनरेट होता है, और अनुपालन गलतियों को सुधारने के लिए टैक्सपेयर्स को सूचित किया जाता है।
डिजिटल युग में, आयकर विभाग आपके बारे में ज्यादा जानता है। इसलिए, नोटिस का मतलब यह नहीं है कि आपने कुछ गलत किया है। इसका मतलब है कि विभाग के आंकड़े आपकी जानकारी से मेल नहीं खा रहे हैं, और यह आपको स्पष्टीकरण देने का मौका है। इसलिए, आपका काम डरना नहीं, बल्कि समय पर और सटीक प्रतिक्रिया देना है।