न्यूयार्क। नोबेल पीस प्राइज 2025 (Nobel Peace Prize 2025) के लिए जब वेनेजुएला की विपक्षी नेता (Venezuelan opposition leader) मारिया कोरिना मचाडो (Maria Corina Machado) के नाम का ऐलान किया गया तो एक तरफ उन्हें बधाई देने वालों का तांता लग गया तो वहीं कई संगठन मांग कर रहे हैं कि उनसे यह पुरस्कार वापस ले लिया जाए। आखिर ऐसा क्यों है? यहां तक कि वेनेजुएला में भी उनको शांति पुरस्कार दिए जाने की आलोचना हो रही है। देश में लोकतंत्र बहाल करवाने के लिए उनके अहिंसक तरीके से किए गए संघर्ष के लिए ही उन्हें इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया है। वहीं वामपंथी विचारक और राजनीतिक विरोधी इसके खिलाफ नजर आ रहे हैं।
विरोधियों का कहना है कि मचाडो की करीबी अमेरिकी दक्षिणपंथियों से रही है। अब गौर करने वाली बात है कि व्हाइट हाउस ने भी उनको नोबेल दिए जाने की आलोचना कर दी और कहा कि पुरस्कार देने में समिति ने राजनीति को शांति से ऊपर रखा है। वेनेजुएला के लोग उनको नोबेल मिलने से इसलिए खुश हैं कि उन्हें लगता है कि अमेरिका में उनके डिपोर्टेशन का रिस्क कम हो जाएगा। कई लोगों का कहना है कि मचाडो वेनेजुएला की सरकार पर विदेशी प्रतिबंधों का समर्थन करती हैं, ऐसे में उन्हें नोबेल नहीं मिलना चाहिए था।