त्योहारों की खरीदारी पर नो-कॉस्ट ईएमआई का जाल, छिपी फीस से बढ़ सकता है बिल

त्योहारों की खरीदारी पर नो-कॉस्ट ईएमआई का जाल, छिपी फीस से बढ़ सकता है बिल

व्यापार: इस बार का त्योहारी सीजन खरीदारी के लिहाज से खास है, क्योंकि जीएसटी दरों में कटौती से उत्पादों के दाम घट गए हैं। इसके अलावा, खुदरा विक्रेता, कंपनियां और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म रेफ्रिजरेटर, टीवी, कार और एसी तक हर चीज पर ऑफर दे रहे हैं। ऐसा ही एक ऑफर है नो-कॉस्ट ईएमआई, जो लोकप्रिय है। ऐसा प्रचारित है कि इस पर कोई ब्याज नहीं लगता है। पहली नजर में यह सरल और सुविधाजनक लगता है। फिर भी, ध्यान से देखें तो नो-कॉस्ट ईएमआई में कई लागतें छिपी होती हैं। अगर आप भी त्योहारी सीजन में खरीदारी के लिए यह विकल्प चुनते हैं, तो लागतों पर जरूर ध्यान दें।

ऐसे काम करता है नो-कॉस्ट ईएमआई
नो-कॉस्ट ईएमआई ब्याज मुक्त नहीं होता, बल्कि आमतौर पर विक्रेता या निर्माता कंपनियां उत्पाद की कीमतों में बदलाव कर खुद उसका वहन करती हैं।
उदाहरण के लिए…12 फीसदी ब्याज पर अगर आप 30,000 रुपये का कोई उप

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