व्यापार: सरकार की जीएसटी 2.0 घोषणा से न केवल घरों का कर बोझ कम होगा बल्कि एमएसएमई को मजबूती मिलेगी और अर्थव्यवस्था में औपचारिककरण की रफ्तार भी बढ़ेगी। यह कदम भारत को एकल कर व्यवस्था के सपने के और करीब ले जाएगा।
फिक्की की समिति कैस्केड (कैस्केड) की रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी ढांचे में सुधार से 5% टैक्स स्लैब में आने वाली वस्तुओं की संख्या तीन गुना तक बढ़ जाएगी। अभी 54 उपभोग श्रेणियां इस दायरे में हैं, जिन्हें जीएसटी 2.0 के तहत बढ़ाकर 149 कर दिया जाएगा।
ग्रामीण और शहरी खपत बढ़ने की संभावना
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण परिवारों की खपत टोकरी में टैक्स-फ्री और मेरिट गुड्स का हिस्सा 56.3% से बढ़कर 73.5% तक पहुंच जाएगा। वहीं शहरी परिवारों के लिए यह हिस्सा 50.5% से बढ़कर 66.2% तक होने की संभावना है।
इसमें कहा गया कि परिणामस्वरूप, ग्रामीण परिवारों के लिए प्रभावी जीएसटी दर 6.03 प्रतिशत से घटकर 4.27 प्रतिशत हो गई है। वहीं शहरी परिवारों के लिए यह 6.38 प्रतिशत से घटकर 4.38 प्रतिशत हो गई। इसका मतलब है कि उपभोक्ताओं के हाथों में अधिक खर्च किए आय होगी। इससे सेवाओं, खुदरा और स्थानीय व्यवसायों पर विवेकाधीन खर्च को बढ़ावा मिलेगा।