पटना। बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल भले ही अभी नहीं बजा हो, लेकिन महागठबंधन में सीटों की सौदेबाजी शुरू हो चुकी है। इस बार कांग्रेस ने कमर कस ली है और साफ कर दिया है कि वो लालू यादव की चतुराई में उलझने वाली नहीं। पिछले चुनाव में RJD ने कांग्रेस को 70 सीटें तो दी थीं, लेकिन उनमें से ज्यादातर ऐसी थीं, जहां जीत का कोई चांस ही नहीं था। इस बार कांग्रेस का मंत्र है, सीटें कम, लेकिन जीत पक्की।
पिछली बार क्या हुआ था?
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने RJD के नेतृत्व में जोरदार मुकाबला किया था। RJD ने 144 और कांग्रेस ने 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। बाकी 29 सीटें वामपंथी दलों के खाते में गईं. नतीजा? RJD ने 75 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी का तमगा हासिल किया, लेकिन कांग्रेस सिर्फ 19 सीटों पर सिमट गई। हार का ठीकरा कांग्रेस के सिर फोड़ा गया, क्योंकि लालू ने चालाकी से उन्हें ऐसी सीटें थमा दी थीं, जहां NDA का दबदबा था।शहरी इलाकों और NDA के गढ़ वाली 45 सीटें ऐसी थीं, जहां कांग्रेस पिछले चार चुनावों से हार रही थी। यही नहीं, 2019 के लोकसभा चुनाव में इनमें से 67 सीटों पर NDA को बढ़त मिली थी।
कांग्रेस की नई रणनीति
इस बार कांग्रेस कोई जोखिम लेने के मूड में नहीं है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि वो कम सीटों पर लड़ेगी, लेकिन सिर्फ उन सीटों पर, जहां जीत की संभावना हो. बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अलावरू ने कहा, “सीट बंटवारे की बातचीत अच्छी च