नई दिल्ली। पाकिस्तान में हर साल करीब 2,000 नाबालिग हिंदू और ईसाई लड़कियों का अपहरण कर जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता है और उनकी शादी बड़े उम्र के मुस्लिम पुरुषों से कर दी जाती है। यह खुलासा अल्पसंख्यक अधिकार संगठन वॉयस ऑफ पाकिस्तान माइनॉरिटी (VOPM) की ताज़ा रिपोर्ट में हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, इन लड़कियों को खासतौर पर धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों से चुना जाता है। अपहरण के बाद झूठे दस्तावेज तैयार कर उनकी उम्र 18 वर्ष से अधिक दिखा दी जाती है और मौलवियों की मदद से निकाह कराया जाता है। इसके बाद उन्हें दबाव में बयान देने पर मजबूर किया जाता है कि धर्म परिवर्तन स्वेच्छा से हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने इस गंभीर स्थिति पर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने 2024 में कहा था कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ इन अपराधों और अपराधियों को मिलने वाली छूट अब बर्दाश्त नहीं की जा सकती।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि एक बार इस्लाम स्वीकार करने के बाद इन लड़कियों के लिए अपने मूल धर्म में लौटना लगभग असंभव है, क्योंकि धर्मत्याग को कानूनन अपराध माना जाता है। कई मामलों में अदालतें भी पीड़िताओं को न्याय देने के बजाय अपहरणकर्ताओं का पक्ष लेती हैं।
हिंदू और ईसाई समुदाय पर लगातार भेदभाव, घृणास्पद भाषण और उत्पीड़न की घटनाएं सामने आ रही हैं। ईसाई आबादी महज 1.8% है, लेकिन देश में दर्ज कुल ईशनिंदा मामलों का लगभग 25% इन्हीं के खिलाफ होता है।