रिजर्व करेंसी का स्टेटस खोना, विश्व युद्ध हारने जैसा
वाशिंगटन। अमेरिका की ओर से नए टैरिफ लागू होने की तारीख नजदीक आ रही है। अब तक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से जापान, ब्राजील, साउथ कोरिया, इंडोनेशिया समेत तमाम देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ का ऐलान किया जा चुका है, जो 1 अगस्त से लागू होने वाले हैं। इस बीच ट्रंप लगातार ब्रिक्स देशों को लेकर अपना रुख सख्त किए हुए हैं और उन पर एक्स्ट्रा टैरिफ की धमकी दे रहे हैं, ब्रिक्स पर ट्रंप की सख्ती के पीछे सबसे बड़ी वजह डॉलर का प्रभुत्व है और इससे जुड़ी चिंता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने यहां तक कह दिया कि, इसका रिजर्व करेंसी स्टेटस खोना, एक विश्व युद्ध हारने जैसा होगा।
पहले बताते हैं डॉलर को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए बयान के बारे में, तो उन्होंने अमेरिकी डॉलर के वैश्विक प्रभुत्व पर जोरदार चेतावनी देते हुए कहा है कि इसका आरक्षित मुद्रा का दर्जा खोना वल्र्ड वार हारने जैसा ही होगा। अपने बयान में ट्रंप ने दावा किया है कि डॉलर में गिरावट अमेरिका को पूरी तरह से बदल देगी और ये पहले जैसा देश नहीं रहेगा। ट्रंप के इस बयान और चिंता के पीछे बड़ा कारण ब्रिक्स देशों की डॉलर के प्रभुत्व को कमजोर करने के स्ट्रेटजी और उठाए जा रहे कदम हैं, क्योंकि ब्रिक्सदेश डॉलर से अलग अन्य वित्तीय विकल्प बनाने के लिए प्रयास तेज किए हुए हैं और कई तो यूएस डॉलर के बजाय अपनी स्थाई करेंसी में ट्रेड कर रहे हैं। इसी वजह से ट्रंप खफा हैं और ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका समेत अन्य) पर आक्रामक टैरिफ लगाने की धमकी दी है, अगर वे डी-डॉलरीकरण पर आगे बढ़ते हैं।