सिंधु जल संधि पर नई चुनौती: चीन दे सकता है पाकिस्तान को कूटनीतिक सहारा”

सिंधु जल संधि पर नई चुनौती: चीन दे सकता है पाकिस्तान को कूटनीतिक सहारा”

बीजिंग। पहलगाम आतंकी हमले के बाद जब भारत ने सिंधु जल संधि पर रोक लगाने का फैसला किया, फिर क्या पाकिस्तान बौखला उठा था। इस संधि के लागू होने के बाद 65 वर्षों में भारत और पाकिस्तान ने कई जंग लड़ी, लेकिन यह समझौता जारी रहा। लेकिन इस पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने साफ कर दिया कि खून और पानी साथ नहीं बह सकते। सिंधु जल समझौते के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच लगातार तनातनी बनी हुई है, लेकिन भारत अपने रुख से पीछे हटने को तैयार नहीं है। इस बीच चीन ने इस मामले में रुचि दिखाई है।
दरअसल, पाकिस्तान ने मामले में चीन से कूटनीतिक समर्थन मांगा है, जिसके बाद बीजिंग और उसके विश्लेषकों ने भारत के इस कदम को एक तरह की गैरकानूनी दबावपूर्ण कूटनीति बताया है। इसके बदले में चीन ने पाकिस्तान के अंदर सिंधु की एक सहायक नदी पर स्थित मोहमंद बांध के निर्माण में तेजी लाने की घोषणा की है। भारत को चीनी प्रतिक्रिया की कुछ हद तक अपेक्षा पहले ही थी, क्योंकि बीजिंग और इस्लामाबाद एक दूसरे को सदाबहार दोस्त हैं। वहीं, चीन भारत को अपना क्षेत्रीय दुश्मन मानता है और दोनों के बीच पूर्वी सीमा पर तनाव चल रहा है। लेकिन एक विश्लेषक के अनुसार, बीजिंग की भूमिका केवल एक तटस्थ पर्यवेक्षक से कहीं अधिक है।
अमेरिका स्थित जल संधाधन अनुसंधान संस्थान में रिसर्च एसोसिएट पिंटू कुमार महला के हवाले से बताया है कि बीजिंग अपने क्षेत्र की नदियों के प्रवाह को बाधित करके प्रतिक्रिया दे सकता है, जो भारत में आती हैं। हालांकि, चीन सिंधु जल संधि का पक्षकार नहीं है, लेकिन सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत से होता है।

भड़क सकता है क्षेत्रीय तनाव
महला के अनुसार, सिंधु जल संधि पर बीजिंग का किसी भी तरह का हस्तक्षेप क्षेत्रीय तनाव को भड़काने का जोखिम पैदा करता है। उनका कहना है कि चीनी मीडिया भारत को आक्रामक बताने वाले दुष्प्रचार शामिल है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि दक्षिण एशियाई राजनीति में बीजिंग की व्यापक उपस्थिति को बढ़ावा दिया जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *