जसप्रीत बुमराह की गेंदबाजी पर सवाल, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्यों दिखे बेबस

जसप्रीत बुमराह की गेंदबाजी पर सवाल, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ क्यों दिखे बेबस

टीम इंडिया के इतिहास पर नजर डालें तो कपिल देव के बाद कई सालों तक गेंदबाजों की चर्चा कम होती रही है. दुनिया भर के दिग्गज क्रिकेटर और विशेषज्ञ भारतीय टीम के बल्लेबाजों के प्रति अधिक मुरीद रहे हैं. भारतीय टीम जब कभी विदेशी दौरे पर जाती थी, तो नजरें इस बात पर होती थीं कि सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग और युवराज सिंह जैसे बल्लेबाजों का प्रदर्शन कैसा होगा. चर्चा इस बात की होती थी कि इन खिलाड़ियों के नाम कौन सा रिकॉर्ड होगा या कौन सा टूटेगा.

लेकिन अगर बल्लेबाजी फेल होती थी, तो शायद ही कोई इस बात पर ध्यान देता कि क्या गेंदबाजों ने अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभाई. हालांकि, ऐसा नहीं था कि गेंदबाज नहीं थे. तेज गेंदबाजी में जवागल श्रीनाथ ने कई सालों तक अकेले मोर्चा संभाले रखा और बाद के सालों में उनका साथ देने के लिए वेंकटेश प्रसाद और जहीर खान जैसे गेंदबाज आए. वहीं, स्पिन गेंदबाजी में अनिल कुंबले और हरभजन सिंह जैसे दिग्गज थे. इन दोनों ने कई बार टीम इंडिया की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

लेकिन जब हम गेंदबाजी की तुलना पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज या दक्षिण अफ्रीका से करते थे, तो एक चीज हमेशा से गायब दिखी: वह थी खौफ, परेशान करने वाली गेंदें, घुटने टिका देने वाली स्विंग और रफ्तार. सीधे शब्दों में कहें तो ऐसा गेंदबाज कोई नहीं था जिसके खिलाफ टीमें वैसी ही रणनीति या जवाब ढूंढते दिखें, जैसा कि एक समय बल्लेबाजी में सचिन तेंदुलकर के लिए होता था.

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