मूल्यबोधक और स्वावलंबी शिक्षा आज की आवश्यकता है: श्री सुरेश सोनी

मूल्यबोधक और स्वावलंबी शिक्षा आज की आवश्यकता है: श्री सुरेश सोनी


सरस्‍वती विद्या म‍ंदिर आवासीय विद्यालय राजगढ का भूमि-पूजन सम्‍पन्‍न

भोपाल : राजगढ़ में सरस्वती विद्या मन्दिर आवासीय विद्यालय का भूमि-पूजन कार्यक्रम सदस्य अखिल भारतीय कार्यकारिणी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ श्री सुरेश सोनी, जिले के प्रभारी एवं सूक्ष्‍म, लघु और मध्‍यम उद्यम मंत्री श्री चेतन्‍य कुमार काश्‍यप, परिवहन एवं स्‍कूल शिक्षा मंत्री श्री उदय प्रताप सिंह, विद्या भारती संगठन मंत्री मध्यभारत श्री निखिलेश माहेश्वरी और भूमि दानदाता श्री देवेंद्र जैन के आतिथ्य में सम्पन्न हुआ।

अतिथियों ने सर्वप्रथम मन्त्रोच्चार के मध्य विधि-विधान से आवासीय विद्यालय का भूमि-पूजन किया। अतिथियों ने अपने उद्बोधन में सरस्वती शिशु मन्दिरों को संस्कारक्षम शिक्षा का माध्यम बताया। श्री निखिलेश माहेश्वरी ने विद्या भारती के देशव्यापी व मध्यभारत में चल रहे प्रकल्पों की जानकारी दी। श्री राव उदयप्रताप सिंह ने कहा कि विद्या भारती के प्रकल्प विद्यार्थियों के साथ ही आमजन को स्वालम्बन से जोड़ने का कार्य कर रहे हैं। श्री चेतन काश्यप ने कहा कि राजगढ़ का यह आवासीय विद्यालय समाज की प्रेरणा का केन्द्र बनेगा।

श्री सुरेश सोनी ने कहा कि शिक्षा की व्यवस्था एक निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है, क्योंकि जीवन स्थिर नहीं रहता, जीवन चलता रहता है, समय गतिशील है, सतयुग भी स्थिर नहीं रहा। 25 साल में दूसरी पीढ़ी आ जाती है। शिक्षा संस्कार का सातत्य रहा तो समाज में परिवर्तन आता है। 1952 में जब विद्या भारती ने विद्यालय प्रारम्भ किया तो पहला विचार भारत केन्द्रित शिक्षा था। प्राचीन शिक्षा में ऋषियों ने कहा कि ज्ञान वह केवल व्यक्ति के लिए नहीं सम्पूर्ण मानवता के साथ जड़ चेतन के लिए है। राजा भर्तृहरि ने वैराग्य शतक में कहा कि पंच महाभूत मेरा परिवार है। भूमि माता है, आकाश पिता है, जल वायु अग्नि मेरे संबंधी हैं। उन्होंने कहा कि इसका तात्पर्य यह है कि सम्बन्धों के आधार पर अगर पंच महाभूत से हमारा जुड़ाव हो गया तो इसे नष्ट नहीं करेंगे, प्रदूषित नहीं करेंगे।

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