सरकार एक ओर अपने विनिवेश (डिसइन्वेस्टमेंट) के लक्ष्य को हासिल करने की जद्दोजहद कर रही है, वहीं दूसरी ओर 82 हजार करोड़ रुपए के प्रस्ताव पर सरकार कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। जिन बैंकों ने कर्ज दिया है, उसमें से अधिकतर की राय यही है कि इस पैसे को ले लेना चाहिए। कम से कम कोरोना की इस महामारी में ये पैसे काफी मदद कर सकते हैं।
डीएचएफएल ने दिया 43 हजार करोड़ का ऑफर
बता दें कि हाल में दीवान हाउसिंग फाइनेंस ने 43 हजार करोड़ रुपए देने का प्रस्ताव दिया है। इसके प्रमोटर कपिल वधावन ने पिछले हफ्ते तलोजा जेल से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के एडमिनिस्ट्रेटर को एक पत्र लिखकर कहा था कि वे अपनी संपत्तियां बेचकर 43 हजार करोड़ रुपए चुका सकते हैं। डीएचएफएल की कई प्रॉपर्टी है जिसे वे बेच कर पैसा देना चाहते हैं। हालांकि इस पर RBI और बैंकिंग सेक्टर ने कोई जवाब नहीं दिया है।