फिल्म ‘मिमी’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली अभिनेत्री कृति सेनन अब फिल्म ‘दो पत्ती’ से निर्माता भी बन गई हैं। खास बात यह है कि फिल्म में वह पहली बार डबल रोल में नजर आएंगी। इस फिल्म की लेखिका व सहनिर्माता कनिका ढिल्लन भी दोहरी भूमिका में हैं। कृति और कनिका ने अपनी फिल्म पर दैनिक जागरण से की खास बातचीत।
सिनेमा में महिला सशक्तीकरण से होने वाले बदलावों को लेकर आपकी क्या राय है?
कृति : ईमानदारी से कहें तो समान अवसरों को क्रिएट करना तथा ऐसी कहानियां दिखाना, जिनमें कुछ बात कही जाए। सिर्फ अपने लिए नहीं, जिस क्रू के साथ आप काम कर रहे हैं, वहां पर भी एक तरह का संतुलन लाया जा सकता है। हम वही करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि संतुलन लाने में थोड़ा समय लगेगा क्योंकि यह काफी बिगड़ा हुआ है। मुझे लगता है कि इसके लिए सामूहिक रूप से काम करना होगा।
कनिका : मेरा मानना है कि हम सही दिशा में जा रहे हैं। लड़कियां लेखन कर रही हैं। कैमरे के पीछे भी उनकी संख्या बढ़ रही है। कैमरे के सामने भी सिर्फ रोमांटिक त्रिकोणीय संबंध नहीं रहा। एक लड़की का किरदार बहुत कुछ कह जाता है। सिनेमा में यह बहुत जरूरी है क्योंकि कहानियों की पहुंच इतनी ज्यादा है कि वो आपके समाज और मानसिकता पर बहुत गहरा असर छोड़ जाती हैं। यह बहुत अच्छी बात है कि औरतों के इतने सशक्त किरदार आ रहे हैं कि छोटे शहरों में भी लड़कियां, परिवार समझ पाएं कि लड़कियां बहुत कुछ कर सकती हैं।
कनिका : एक बात और कहना चाहूंगी कि यह जो आदर्श नारी है वो भी हमने सिनेमा से ही सीखी है। आम तौर पर पुरुष के नजरिए से सिनेमा में आदर्श मां, आदर्श पत्नी, बहन को त्याग की मूर्ति की तरह दिखाया गया है। अब उस त्याग को त्याग दो, उन्हें बराबरी का हक दो। वो कहानियां सुनाओ, जिनमें त्याग नहीं है, जिसमें उम्मीद हो, साहस हो, समानता है।