मुंबई । बीते सप्ताह मध्य-पश्चिम संघर्ष को लेकर वैश्विक बाजार के कमजोर रुख के दबाव में स्थानीय स्तर पर हुई बिकवाली से गिरावट में रहे घरेलू शेयर बाजार पर इस सप्ताह रिलायंस, इंफोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक, नेस्ले इंडिया और एक्सिस बैंक समेत कई दिग्गज कंपनियों के चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के जारी होने वाले परिणाम का असर रहेगा। बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 307.09 अंक की गिरावट लेकर सप्ताहांत पर 81381.36 अंक पर आ गया। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 50.35 अंक उतरकर 24964.25 अंक पर रहा। वहीं समीक्षाधीन सप्ताह में बीएसई की दिग्गज कंपनियों के विपरीत मझौली और छोटी कंपनियों के शेयरों में लिवाली हुई। इससे मिडकैप 530.12 अंक की छलांग लगाकर सप्ताहांत पर 48436.86 अंक और स्मॉलकैप 654.78 अंक उछलकर 56600.09 अंक पर पहुंच गया। विश्लेषकों के अनुसार बीते सप्ताह विश्व बाजार का रुझान कमजोर रहा। भारतीय बाजार वर्तमान में प्रीमियम मूल्यांकन और दूसरी तिमाही के सुस्त नतीजों के कारण सुदृढीकरण के चरण में है। इसके विपरीत विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) चीन के प्रोत्साहन उपायों और कम मूल्यांकन से चीनी बाजारों में आर्बिट्रेज अवसरों का लाभ उठा रहे हैं। साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों को यथावत रखा तथा उसके निर्णयों से निकट भविष्य में ब्याज दरों में कटौती की संभावना का संकेत नहीं मिलता है। इस बीच हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीद से अधिक बेहतर प्रदर्शन से घरेलू बाजार में आशा की लहर दौड़ गई। इससे सेंसेक्स ने कुछ लचीलापन दिखाया और वापस उछलने का प्रयास किया तथा निफ्टी 50 सूचकांक को 24,800 अंक के स्तर पर समर्थन मिला। हालांकि यह समर्थन अस्थायी बना हुआ है, जिससे इसके मध्यवर्ती स्तर पर होने का जोखिम बना हुआ है। बीते सप्ताह बाजार अपनी तेजी को बरकरार नहीं रख सका और निफ्टी50 25,000 अंक से नीचे बंद हुआ। अमेरिकी मुद्रास्फीति में अप्रत्याशित वृद्धि और जारी भू-राजनीतिक चुनौतियों के कारण अमेरिका में 10 वर्षीय ट्रेजरी यील्ड में हाल में हुई वृद्धि ने एफआईआई को अधिक सस्ते बाजारों की ओर रुख करने के लिए प्रेरित किया है। इस प्रवृत्ति से अल्प अवधि में इक्विटी परिसंपत्ति का प्रदर्शन प्रभावित होने की उम्मीद है। इस सप्ताह निवेशकों की वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही के परिणामों पर पैनी नजर रहेगी।