रूस ने क्रूड ऑयल पर 60 डॉलर प्रति बैरल के प्राइस कैप को मानने से इनकार कर दिया है। हाल ही में यूरोपियन यूनियन (EU), द ग्रुप ऑफ सेवन (G7) नेशन और ऑस्ट्रेलिया ने रूसी क्रूड ऑयल पर यह प्राइस कैप लगाया था।
हम प्राइस कैप को स्वीकार नहीं करेंगे
रूसी समाचार एजेंसी TASS के अनुसार, क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा, ‘हम स्थिति का आकलन कर रहे हैं। इस तरह के कैप के लिए कुछ तैयारियां की गई थीं। हम प्राइस कैप को स्वीकार नहीं करेंगे और हम मूल्यांकन खत्म होने के बाद आपको सूचित करेंगे कि किस तरह से इस काम को आगे बढ़ाया जाएगा।’
रूसी ऑयल पर क्यों लगाया प्राइस कैप?
यूक्रेन पर हमले के बाद से ही पश्चिमी देश रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा चुके हैं। अब वो रूस के ऑयल पर प्राइस कैप लगाकर उसकी फाइनेंशियल कंडीशन को कमजोर करना चाहते हैं। रूस को अपने ऑयल के एक्सपोर्ट से बड़े पैमाने पर रेवेन्यू मिलता है।
प्राइस कैप 5 दिसंबर से लागू होगा
रूस के ऑयल पर प्राइस कैप सोमवार (5 दिसंबर) से लागू हो जाएगा। पश्चिमी देशों की सरकारें रूस के तेल निर्यात की कीमत को सीमित करने पर सहमत हुई हैं। हालांकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने रूसी ऑयल पर लगाए गए प्राइस कैप को कम ही बताया है।