बीकानेर में भुजिया बनने का इतिहास तो 150 साल पुराना है, लेकिन इसे ब्रांड बनाया हल्दीराम अग्रवाल ने। एक छोटी सी दुकान पर लगी भट्टी पर हल्दीराम अपने हाथ से भुजिया तैयार करते। फिर खोमचों भरकर दुकान के बाहर सजाते। धीरे-धीरे बीकानेर की भुजिया का स्वाद देशभर में फेमस होने लगा। हल्दीराम बाद में बिजनेस बढ़ाने के लिए कोलकाता चले गए, फिर वहीं बस गए।
लेकिन ‘हल्दीराम भुजियावाला’ नाम से शुरू हुई दुकान पर उनके बेटे मूलचंद अग्रवाल ने कारोबार को संभाला। बाद में मूलचंद अग्रवाल के चारों बेटों ने बीकानेरी भुजिया को देश और दुनिया तक पहुंचा दिया। उनके तीन बेटे शिवकिसन अग्रवाल, मनोहर लाल अग्रवाल और मधु अग्रवाल ने हल्दीराम नाम से भुजिया का ब्रांड स्थापित किया, लेकिन चौथे बेटे शिवरतन अग्रवाल ने बीकानेर से ही अलग भुजिया कंपनी बीकाजी की स्थापना की।
शिवरतन अग्रवाल ने 1986 में अपनी कंपनी को नाम दिया शिवदीप फूड्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड। अग्रवाल अपने ब्रांड का नाम ऐसा रखना चाहते थे जो बीकानेर से जुड़ा हो और देशभर में भुजिया के शौकीन भी इस ब्रांड से आसानी से जुड़ जाएं। ऐसे में बीकानेर के संस्थापक राव बीका के नाम से अपने भुजिया का नाम रखा ‘बीकाजी’।