इंडियन स्टार्टअप्स के लिए 2021 का साल बेहतरीन रहा है। इस साल अब तक भारत के 33 स्टार्टअप यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो चुके हैं। इस क्लब में शामिल होने वाला सबसे लेटेस्ट स्टार्टअप कार देखो है जिसने हाल ही में लीपफ्रॉग इन्वेस्टमेंट से 250 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई है। अगर इसी रफ्तार से स्टार्टअप की जर्नी आगे बढ़ती रही तो ये संख्या साल के अंत तक 40 को पार कर सकती है। ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि इन स्टार्टअप्स ने ऐसा क्या किया कि वो इस क्लब में शामिल होने में कामयाब रहें। इसमें कोरोना संक्रमण और टेक्नोलॉजी ने कितना बढ़ा रोल प्ले किया।
यूनिकॉर्न, डेकाकॉर्न और हेक्टोकॉर्न
यूनिकॉर्न का मतलब ऐसा स्टार्टअप है जिसका वैल्यूएशन एक अरब डॉलर तक पहुंच गया हो। वेंचर कैपिटल इंडस्ट्री में इस शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। इस शब्द का इस्तेमाल पहली बार काउबॉय वेंचर्स की फाउंडर ऐलीन ली ने किया था। 10 अरब डॉलर के वैल्यूएशन से अधिक के स्टार्टअप को डेकाकॉर्न कहा जाता है और 100 अरब डॉलर के वैल्यूएशन तक पहुंचने वाले स्टार्टअप को हेक्टोकॉर्न।
ज्यादातर, सभी यूनिकॉर्न्स ने उस क्षेत्र को डिसरप्ट किया है जिससे वे संबंधित हैं। उदाहरण के लिए, फ्लिपकार्ट ने भारत में शॉपिंग के तरीके को बदल दिया। ओला कैब ने लोगों के आने-जाने के तरीके को बदल दिया। पेटीएम ने पेमेंट के तरीके को बदल दिया। वहीं जोमैटो जैसे स्टार्टअप ने लोगों के खाने के तरीके में काफी बड़ा बदलाव लाया।