दुनिया में सुपर पावर का दंभ भरने वाला चीन बिजली की भारी किल्लत से जूझ रहा है। इसकी वजह से इस देश की करीब 10 करोड़ की आबादी तबाह है। सबसे ज्यादा परेशानी यहां के उन उद्योगों को हो रहा है जो विदेशों में अपना माल सप्लाई करती हैं।
बिजली कटौती के कारण एपल और टेस्ला जैसी बड़ी कंपनियों का कारोबार तक प्रभावित हो रहा है। इन कंपनियों को कंप्यूटर चिप समेत अन्य इलेक्ट्रॉनिक इक्यूपमेंट्स सप्लायर्स को अपने कई प्लांट में काम रोकना पड़ रहा है। इसका सीधा नुकसान डिमांड और सप्लाई पर पड़ रहा है। ताइवान की 10 से अधिक कंपनियों ने काम बंद करने का फैसला लिया है।
एपल और टेस्ला को सप्लाई करने वाली ताइवान की तीन इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों ने रविवार को कहा कि पावर सप्लाई प्रभावित होने से इन्हें मजबूरन चीन में स्थित अपनी कंपनियों में काम रोकना पड़ रहा है।
एपल के सप्लायर यूनिमिरोन टेक्नोलॉजी ने कहा कि उनकी चीन में स्थित तीन सहायक कंपनियों को काम रोकना पड़ रहा है। उसने कहा कि इन कंपनियों के काम रोकने से ज्यादा नुकसान नहीं होगा, क्योंकि दूसरे प्लांट पर उत्पादन बढ़ा दिया गया है।
कटौती के पीछे की दो बड़ी वजह
चीन में बिजली संकट के पीछे दो बड़ी वजह बताई जा रही है। पहला कोयले की कमी और दूसरा राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कार्बन उत्सर्जन नीति। दरअसल, राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कार्बन उत्सर्जन कम करने के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कोयले के उत्पादन में कमी की है। वे 2060 तक चीन को कार्बन मुक्त देश बनाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने कोयला उत्पादन में कमी की है।