प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम मन की बात का टेलीकास्ट चल रहा है। अभी तक उनका फोकस नदियों के महत्व और उनके संरक्षण पर रहा है। उन्होंने कहा कि उनके उपहारों की नीलामी से मिलने वाला पैसा नमामि गंगे मिशन को दिया जाएगा।
पढ़िए मन की बात में मोदी ने अब तक क्या कहा…
ये दिन भारत की परंपराओं से जोड़ने वाला है। ये है वर्ल्ड रिवर डे, यानी विश्व नदी दिवस। हमारी नदियां भौतिक वस्तु नहीं, जीवंत इकाई है। तभी तो हम नदियों को मां कहते हैं। पर्व, त्योहार, उत्सव, उमंग, ये सभी हमारी इन माताओं की गोद में ही तो होते हैं। माघ का महीना आता है तो देश में बहुत से लोग पूरे एक महीने मां गंगा या किसी और नदी के किनारे कल्पवास करते हैं। घर में स्नान करते हैं तो नदियों का स्मरण करने की परंपरा थी।
ये परंपरा विशाल भारत की मानसिक यात्रा करा देती थी। भारत में स्नान करते समय एक श्लोक बोलने की परंपरा रही है। परिवार के बड़े ये श्लोक बच्चों को याद कराते थे। इससे हमारे देश में नदियों को लेकर आस्था पैदा होती थी। विशाल भारत का मानचित्र अंकित हो जाता था और नदियों से जुड़ाव बनता था। नदियों के प्रति एक आस्था का भाव पैदा होता था। ये संस्कार प्रक्रिया थी। हमारे देश में नदियों की महिमा पर बात कर रहे हैं तो कोई स्वाभाविक रूप से प्रश्न उठाएगा कि आप नदी के गीत गा रहे हो, इसे मां कह रहे हो तो ये प्रदूषित क्यों हो जा रही है। शास्त्रों और परंपराओं में नदियों के प्रदूषित करने को गलत कहा गया है।