ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने सिंगल डोज कोविड-19 वैक्सीन स्पुतनिक लाइट को फेज-3 ब्रिजिंग ट्रायल्स को अप्रूवल दे दिया है। यह ट्रायल्स एकाध महीने में पूरे हो सकते हैं, जिससे अक्टूबर में स्पुतनिक लाइट लगाने को मंजूरी मिलने की उम्मीद है। यह वैक्सीन शुरुआत में सीमित क्वांटिटी में उपलब्ध होगी। इसकी कीमत 750 रुपए रहेगी।
सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) ने कहा है कि रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) की पार्टनर हैदराबाद की डॉ. रेड्डी’ज लैबोरेटरी ने वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल्स की इजाजत मांगी थी। कंपनी ने वैक्सीन को लेकर सेफ्टी, इम्युनोजेनेसिटी और एफिकेसी डेटा जमा किया है। इसके बाद SEC ने उसे ब्रिजिंग ट्रायल्स की इजाजत दे दी है।
इससे पहले सरकार ने रूसी वैक्सीन स्पुतनिक वी को 12 अप्रैल को इमरजेंसी अप्रूवल दिया था। भारत समेत 65 से अधिक देशों में यह वैक्सीन लगाई जा रही है। भारत में प्राइवेट अस्पतालों के मार्फत मई में इसे आम जनता को लगाना शुरू किया गया।
आइए जानते हैं कि स्पुतनिक वी और स्पुतनिक लाइट में क्या अंतर है? यह देश में उपलब्ध बाकी वैक्सीन के मुकाबले कितनी इफेक्टिव है?
स्पुतनिक लाइट क्या है?
- स्पुतनिक लाइट कोई नई वैक्सीन नहीं है, बल्कि रूसी वैक्सीन स्पुतनिक वी के दो डोज का पहला डोज ही है। दरअसल, स्पुतनिक वी के दोनों डोज में अलग-अलग वायरल वेक्टर का इस्तेमाल किया गया है।
- रूस में यह देखा गया कि स्पुतनिक वी का पहला डोज कितना इफेक्टिव है। इसके लिए 5 दिसंबर 2020 और 15 अप्रैल 2021 के बीच रूस के वैक्सीनेशन प्रोग्राम के तहत पहला डोज लगाने के 28 दिन बाद का डेटा जुटाया गया। उसका एनालिसिस करने पर सिंगल डोज की इफेक्टिवनेस 79.4% मिली। इसे ही स्पुतनिक लाइट नाम दिया गया है। रूस ने मई में इस वैक्सीन को मंजूरी दी थी।
- खास बात यह है कि भारत में लग रही कोवीशील्ड और कोवैक्सिन दो डोज की वैक्सीन है। और तो और, दोनों डोज लगने के बाद भी इफेक्टिवनेस 80% से कम है। लैब स्टडी और ट्रायल्स का डेटा देखें तो स्पुतनिक वी का पहला डोज यानी स्पुतनिक लाइट इससे अधिक इफेक्टिव साबित हुई है।