कोरोना से रिकवर होने वाले मरीजों में किडनी बुरी तरह डैमेज हो रही हैं और मरीजों को कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं। यह दावा अमेरिका की वाशिंगटन यूनिवर्सिटी की रिसर्च में किया गया है। रिसर्च कहती है, कोरोना के वो मरीज जो हॉस्पिटल में भर्ती हुए या जिनमें हल्के लक्षण दिखे थे उनमें किडनी डैमेज (एंड स्टेज किडनी डिजीज) होने का खतरा है।
1 सितम्बर को अमेरिकन सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना से रिकवर होने वाले जिन मरीजों को धमनियों से जुड़ी समस्या हुई। हॉस्पिटल में भर्ती होने के बाद उनमें किडनी की बीमारी शुरू हुई। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता जियाद अल-अली कहते हैं, संक्रमण के बाद आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीजों में किडनी के फेल होने का खतरा अधिक है।
मरीजों के आंकड़ों पर रिसर्च की
सेंट लुइस हेल्थ केयर सिस्टम और वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अमेरिका में फेडरल हेल्थ डाटा का विश्लेषण किया। रिपोर्ट में सामने आया कि किडनी के डैमेज होने वजह लॉन्ग कोविड है।
किडनी के मरीजों में आमतौर पर इसके लक्षण नहीं दिखते हैं। नेशनल किडनी फाउंडेशन का कहना है, लगभग 90 फीसदी मरीजों में किडनी से जुड़ी बीमारी के लक्षण नहीं दिखते हैं। 3.7 करोड़ अमेरिकी इसी स्थिति से जूझ रहे हैं।