क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल आप पेमेंट, इनवेस्टमेंट या यूटिलिटी, जिस तरह से भी करते हों, सरकार इसे एसेट/कमोडिटी की कैटेगरी में डाल सकती है। प्राइवेट वर्चुअल करेंसी क्या है, इसे कानूनन क्या माना जाना जाए और इस पर किस हिसाब से टैक्स लगे, इन सब बातों को साफ करने के लिए वह एक कानून बना सकती है। अगर वह इसे कमोडिटी करार देती है तो इससे मिलनेवाले प्रॉफिट पर निवेशकों को नॉर्मल इनकम टैक्स रेट देना पड़ सकता है।
जानकारों के मुताबिक सरकार क्रिप्टोकरेंसी की परिभाषा देने के लिए एक कानून का मसौदा तैयार कर रही है। जानकारों का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी की परिभाषा इस हिसाब से की जा सकती है कि वह किस टेक्नोलॉजी पर आधारित है या फिर इसका इस्तेमाल किस तरह हो रहा है। सरकार का मानना है कि सही वर्गीकरण होने से इस पर वाजिब हिसाब से टैक्स लगाया जा सकेगा। उनका यह भी कहना है कि इसके जरिए पेमेंट और सौदों के निपटारों की मनाही हो सकती है।
सरकार के सामने फिलहाल सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि क्रिप्टोकरेंसी को क्या मानकर इस पर टैक्स लगाए, इसको करेंसी, कमोडिटी या इक्विटी शेयर जैसा एसेट माने या सर्विस की तरह ले। इसलिए इसके टैक्सेक्शन और रेगुलेशन पर स्थिति साफ करने के लिए सरकार सबसे पहले इसको परिभाषित करेगी। गौरतलब है क्रिप्टो एक्सचेंजों ने सरकार से कहा था कि वह कानून बनाते समय क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी के बजाए डिजिटल एसेट माने और घरेलू एक्सचेंजों के रजिस्ट्रेशन का सिस्टम बनाए।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) कागज वाली करेंसी को इलेक्ट्रॉनिक रूप में लाने पर काम कर रहा है। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले महीने कहा था कि इस सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) का ट्रायल दिसंबर तक शुरू किया जा सकता है। RBI लेन-देन को सुविधाजनक बनाने और कागज के करेंसी नोट पर निर्भरता घटाने के लिए अपनी ई-करेंसी लाना चाहता है।