अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार का ब्लूप्रिंट तैयार हो गया है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के सूत्रों के मुताबिक मुल्ला बरादर अफगानिस्तान की नई सरकार की कमान संभालेगा। वहीं तालिबान के फाउंडर मुल्ला उमर का बेटे मुल्ला मोहम्मद याकूब और साथ ही शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई को भी तालिबानी सरकार में अहम पद दिए जाएंगे। ये सभी काबुल पहुंच चुके हैं जहां नई सरकार का ऐलान किसी भी वक्त किया जा सकता है।
मुल्ला बरादर:
- तालिबान का को-फाउंडर मुल्ला बरादर संगठन में दूसरे नंबर का नेता है। तालिबान के 1996 से 2001 तक के शासन में मुल्ला बरादर ने अहम भूमिका निभाई थी। 2001 में अमेरिकी हमले के वक्त वो अफगानिस्तान में तालिबानी सरकार का रक्षा मंत्री था। 2001 के बाद जब अमेरिका ने अफगानिस्तान में कब्जा किया तो मुल्ला बरादर पाकिस्तान चला गया।
- 2010 में पाकिस्तान ने मुल्ला बरादर को जेल में डाल दिया, क्योंकि उस पर आरोप लगा कि उसने पाकिस्तान को भरोसे में लिए बिना अफगानिस्तान सरकार से बात करने की कोशिश की थी। हालांकि बाद में पाकिस्तान ने बरादर को छोड़ दिया था।
- 2018 में तालिबान ने कतर के दोहा में अपना राजनीतिक दफ्तर खोला था। वहां अमेरिका से शांति वार्ता के लिए जाने वाले लोगों में बरादर प्रमुख था। उसने हमेशा अमेरिका के साथ बातचीत का समर्थन किया है।अफगानिस्तान की वास्तविक सत्ता शूरा समिति के हाथ में ही रहेगी। बता दें शूरा अरबी भाषा का शब्द है। इसका अर्थ एक ऐसी समिति या कमेटी से है जो सलाह या परामर्श देती है। जानकारी के मुताबिक, फिलहाल किसी इस्लामिक देश में पूरी तरह शूरा लागू नहीं है। कई देश ऐसे हैं जहां किसी न किसी रूप में इसका अस्तित्व है, लेकिन वहां इसका आदेश आखिरी आदेश नहीं कहा जा सकता है।