अफगानिस्तान में तालिबान की नई हुकूमत को लेकर बैठकों का दौर जारी है।तालिबान के सबसे बड़े नेता हिब्दुल्लाह अखुंदजादा को सर्वोच्च नेता यानी सुप्रीम लीडर बनाया जा सकता है। इस बारे में कल यानी गुरुवार 2 सितंबर को तस्वीर साफ हो सकती है। माना जा रहा है कि इसी दिन नई सरकार के गठन से संबंधित अहम ऐलान भी किए जा सकते हैं।
सरकार गठन को लेकर कंधार में चल रही बैठकों की अध्यक्षता खुद अखुंदजादा कर रहा है। तालिबान के सूत्रों ने भी इसकी पुष्टि की है। रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम लीडर को अफगानिस्तान में ‘जाईम’ या ‘रहबर’ कहा जाएगा। जाईम का अर्थ नेता और रहबर का अर्थ मार्गदर्शक होता है। मोटे तौर पर यह माना जा सकता है कि सुप्रीम लीडर का फैसला ही आखिरी होगा। यही व्यवस्था शिया बहुल देश ईरान में भी है। वहां अयातुल्लाह खामनेई सुप्रीम लीडर है। शूरा काउंसिल है और इसके बाद संसद और राष्ट्रपति। राष्ट्रपति सीधे जनता चुनती है।
बाकी नेताओं के नाम पर सस्पेंस
अब तक यह साफ नहीं हो सका है कि तालिबान वादे के मुताबिक, बाकी जनजातियों या कबीलों के नेताओं को सरकार में शामिल करता है या नहीं। संचार और गृह मंत्रालय सबसे अहम विभाग माने जा रहे हैं।इस बारे में भी कल ही तस्वीर साफ हो सकती है। माना जा रहा है सरकार के रोजमर्रा के कामकाज की जिम्मेदारी मुल्ला अब्दुल गनी बरादर संभालेगा। हालांकि, उसका पद क्या होगा? ये साफ नहीं है। बरादर ने ही अमेरिका से कतर में बातचीत की थी।
हक्कानी भी हो सकता है सरकार का अंग
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अखुंदजादा और बरादर के बाद दो नाम और ऐसे हैं जिन्हें सरकार में अहम जिम्मेदारियां सौंपी जानी हैं। ये हैं- मुल्ला मोहम्मद .याकूब और सिराजुद्दीन हक्कानी। इन्हें अखुंदजादा का सलाहकार भी बनाया जा सकता है। ये भी साफ नहीं है कि क्या पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और अब्दुल्ला-अब्दुल्ला सरकार में शामिल होंगे या नहीं। शूरा काउंसिल को लेकर भी अब तक संशय है।